मैकदा-ए-राज़
मेरी शुरुआत पीने की मेरे बचपन में हुई
पर मुलाकात ज़िंदगी से चौथेपन में हुई ।
अपने वालिद के कहने पर शराब लाता था ,
रास्ते में घूंट दो घूंट मैं पी जाता था ,
इस तरह धीरे-धीरे बात आदतन ये हुई
पर मुलाकात ज़िंदगी से चौथेपन में हुई ।
उमर के साथ-साथ प्यास मेरी बढ़ती गई ,
धीरे-धीरे औ बूंद-बूंद राज़ को चढ़ती गई ,
नहीं धोखे से मुझे लत इरादतन ये हुई
पर मुलाकात ज़िंदगी से चौथेपन में हुई ।
शुरु-शुरु में पीने से मैं तो डरता था ,
किसी अरज़ी पे भी एतराज़ बहुत करता था ,
न जाने कैसी ये शरारत अंजुमन में हुई
पर मुलाकात ज़िंदगी से चौथेपन में हुई ।
(लगातार)
Friday, July 22, 2011
Wednesday, May 11, 2011
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